Tuesday, June 28, 2011

खुशबुओं की एक पूरी दुनिया


शनिवार २५ जून की वो शाम बेहद ख़ास थी, जहाँ ब्रजेन्द्र त्रिपाठी, दिनेश कुमार शुक्ल और शिवमंगल सिद्धान्तकर जैसे साहित्य जगत के बड़े हस्ताक्षर मौजूद हों, और वहाँ अगर युवा कवि सजीव सारथी की पहली काव्य पुस्तक "एक पल की उम्र लेकर" की चर्चा होनी हो तो वह शाम ख़ास अपने आप हो जाती है. दिल्ली के मशहूर सिरी फोर्ट सभागार के पास बसे एकेडमी ऑफ़ फाईन आर्ट एंड लिटरेचर में आयोजन था "डायलोग" मंच का. जो हर माह के अंतिम शनिवार को रोशन होती है कविता की नयी बयार लेकर. हिंदी उर्दू और पंजाबी साहित्कारों की ये गोष्ठी दक्षिण दिल्ली में खासी लोकप्रिय है. इस काव्य गोष्ठी की सबसे बड़ी खासियत ये होती है की यहाँ सब बेहद अनौपचारिक होता है बिलकुल जैसे घर की बात हो, सभी नए और वरिष्ठ कवि एक साथ एक प्लेटफोर्म को शेयर करते हैं और कविता पर खुल कर चर्चा और बहस होती है. 

इस महफ़िल को अपने संचालन से चार चाँद लगते हैं वरिष्ठ कवि और वक्ता मिथिलेश श्रीवास्तव. २५ जून को भी ठीक शाम ५ बजे कार्यक्रम विधिवत रूप से आरंभ हुआ. कुछ श्रोता आ चुके थे, कुछ आने बाकी थे. हाल ही में हम सब से बिछड़े महान चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसैन को अश्रुपूर्ण ह्रदय से याद किया गया, साथ ही एक कवि साथी रंजीत वर्मा की दिवंगत माता जी के लिए कुछ पलों का शोक रखा गया. इसके पश्चात सजीव सारथी की पुस्तक "एक पल की उम्र लेकर" का दक्षिण दिल्ली विमोचन हुआ ब्रिजेन्द्र जी और दिनेश जी के शुभ हाथों से. इसके बाद मिथिलेश जी ने कमान संभाली और सजीव के काव्य संग्रह पर एक दिलचस्प सी टिपण्णी की. उन्होंने कहा कि सजीव सरल हैं और संकोची भी मगर एक अच्छे इंसान और प्रतिभाशाली कवि हैं, उनकी कवितायें नोस्टेलेजिक होते हुए भी मानुषी संवेदनाओं को अनेक स्तरों पर कुरेदती हुई बहती हैं, इसमें विस्थापन का दर्द भी है और पकृति विरोधी विकास के प्रति आक्रोश भी, सुनिए पूरी चर्चा इस यू ट्यूब वीडियो में...





ब्रिजेन्द्र जी ने कहा कि आम तौर पर दक्षिण के लेखक जब हिंदी का इस्तेमाल करते हैं तो क्लिष्ट संस्कृत शब्दों में अपनी बात कहते हैं पर सजीव की कविताओं में हिंदी और उर्दू के सरल शब्द बहुत स्वाभाविक रूप से आते हैं, उनकी कविताओं को पढकर निश्चित ही कहा जा सकता है कि उनमें आपार संभवानाएं मौजूद हैं जो आगे चलकर और भी मुखरित होंगीं. सुनिए पूरी बात -



सजीव ने कुछ कविताओं का वाचन भी किया. उनके वाचन में बेशक अनुभवी कवियों जैसे भाषा प्रवहता न हो मगर एक सच्चाई अवश्य झलकती है. अच्छी कवितायें लिखने के साथ साथ उन्हें मंच पर बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने का भी हुनर उन्हें अभी सीखना पड़ेगा. खैर सुनिए उनकी जुबानी उन्हीं की कवितायें.




यहाँ कुछ कवि ऐसे भी थे जो विशेषकर इस आयोजन में शामिल होने के लिए आये सजीव के कारण. उनके लिए सजीव कवि कम और एक मित्र अधिक हैं. सुनीता शानू जो सजीव को अपना छोटा भाई मानती है तमाम दिक्कतों को पार कर दिल्ली के दुसरे सिरे से यहाँ पहुंची तो दीप जगदीप अपने जीवन संगनी को साथ लेकर आये कार्यालय से आधे दिन की छुट्टी लेकर, मगर १०० किलोमीटर की दूरी तय कर गजरौला से ४ घंटे का सफ़र कर दिल्ली पहुंचे युवा कवि अखिलेश श्रीवास्तव का तो कहना ही क्या, देखिये कविता वाचन से पहले उन्होंने अपने साथी कवि सजीव की किन शब्दों में प्रशंसा की. 

अखिलेश ने इसके बाद जो काव्य धारा बहाई वो लाजवाब थी, मगर उसका उल्लेख फिर कभी. उनके आलावा स्वप्निल तिवारी, रजनी अनुरागी, रेनू हुसैन, सुनीता शानू, अजय नावरिया और तेजेंद्र लूथरा सरीखे कवियों ने अपने शाब्दिक जौहर का नमूना खुले दिल से पेश किया. हम आपको बता दें की वरिष्ठ साहित्यकार शिवमंगल सिद्धान्तकर जी को कुछ जरूरी कारणों के चलते बीच कार्यक्रम में जाना पड़ा, पर उन्होंने भी सभी उपस्तिथ कवियों विशेषकर सजीव को अपनी शुभकानाएं अवश्य दी. फिलहाल हम आपको छोड़ते हैं कार्यक्रम के अंतिम संबोधन के साथ जहाँ ब्रिजेन्द्र जी और दिनेश जी ने इस यादगार शाम को कुछ इस तरह परिभाषित किया. 


मिथलेश जी, सजीव और उनके युग्मि मित्रों के साथ

कार्यक्रम की पूरी रिपोर्ट यहाँ पढ़ें
     

6 comments:

  1. बहुत बहुत बधाई!!! आभार इस रिपोर्ट के लिए...

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  2. रपट के लिए आभार.....

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  3. The ceremony in connection with the release of the book ek pal kiumru lekar - collection of poems written by the notable poet Mr.Sajeev Ssrathie is very good and congrats to the organizers and participants.As some of the poems written by the young poet is already in the internet in the music mood. The book EK PAL KI UMRU LEKER give more opportunity to study deeply the messages of the poet. I think that some poems have enduring validity. We hope that professional critics will go through the book and will tell the world how beautiful are his poems. Wish you all the best.

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  4. aapki book EK PAL KI UMR LE KAR ke vimochan per upasthit n ho saki is baat ka mujhko hardik dukh hai.....parantu you tube ke maadhyam se maine poorey karykram ko theek waise hi suna mano main wahan shamil hoon apney kavi mitron ke saath....sabse pahley aapko meri or se anekanek shubhkaamnayein aapki book ke release per....aapki awaaz mein aapki kavitayein suni....bahut pasand aayi...akhilesh ji ,brijendra ji or dinesh ji ke vichaar suney....aisa laga jaise sab saamney ho raha hai...bas samose or cold drink nahi ley sakey...wo aapse milney per ley leinge....haan do shabd bhi kahtey ,per koi baat nahi....aapki pratibha se main achchi tarah wakif hoon....ishwar se dua hai ki bhavishy mein isi tarah aapki or bhi kavitayein hamein sun ne ko milein....kabhi west delhi mein bhi kavi goshthi karayein,achcha lagega....all the very best to you...god bless you...

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